Chanakya Niti : इन तीन लोगों के संगत में हमेशा दुखी रहता है व्यक्ति

Chanakya Niti : इन तीन लोगों के संगत में हमेशा दुखी रहता है व्यक्ति
Chanakya Niti : आचार्य चाणक्य ने अपने अनुभव और ज्ञान के माध्यम से मनुष्य के जीवन के बारे में कई बातें बताई है। उन्होंने खासकर कुछ नीतियां निर्धारित की हुई है। जिन्ह नीतियों को अपनाकर मनुष्य सुखी रह सकता है।
चाणक्य नीति से मशहूर नीति शास्त्र के कुछ सूत्रों में इंसान के दुखों को कम करने के लिए नियम बताए गए है। कई मामलों में चाणक्य की नीतियां आज भी प्रसिद्ध है।
आज भी लोग चाणक्य नीति को बहुत ही उत्सुकता के साथ पढ़ते है। ये माना जाता है कि चाणक्य नीतियों का पालन करना मुश्किल होता है। जिस व्यक्ति ने इन नीतियों का पालन कर लिया, उसे सफलता हासिल होगी ही होगी।
आज हम चाणक्य नीति के तहत उन तीन तरह के लोगों के बारे में जानेंगे जिनके साथ रहने से दुख मिलता है।
मूर्खशिष्योपदेशेन दुष्टास्त्रीभरणेन च।
दुःखितैः सम्प्रयोगेण पण्डितोऽप्यवसीदति॥
अर्थ है:
मूर्ख शिष्य को शिक्षा देने पर, दुष्ट स्त्री के साथ जीवन बिताने पर और दुखियों-रोगियों के बीच में रहने वाले विद्वान व्यक्ति भी दुखी हो जाता है।
चाणक्य का अर्थ है कि गुरु व शिष्य का रिश्ता ताले व चाबी के समान होता है। क्योंकि गुरु वो चाबी होती है जो शिष्य को सफलता के मार्ग की कुंजी प्रदान करने में मदद करती है।
गुरु अपने छात्रों को हर मुश्किल घड़ी को पार करने और जीवन के संकटों के लिए तैयार करता है। अगर विद्वान व्यक्ति के पास ऐसा शिष्य आ जाए जिसे कुछ भी नहीं आता हो और न ही वो गुरु के बताए रास्ते पर चलता हो। ऐसे मूर्ख शिष्य से विद्वान व्यक्ति भी दुखी हो जाता है।
चाणक्य नीती के अनुसार किसी व्यक्ति को अच्छी जीवनसंगिनी का साथ न मिले तो उसका आगे का जीवन भी दुखों से भर जाता है। एक अच्छी पत्नी अपने पति के अच्छे-बुरे वक्त में साथ देती है।