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Bahu Property Law: पति की संपत्ति में होता है पत्नी का इतना अधिकार, कोर्ट ने सुनाया फैसला

संविधान में हमारे लिए कुछ अधिकार दिए गए हैं। हमें वो पता होना जरूरी होता है। क्योंकि न्याय के खिलाफ हम हथियार तो नहीं उठा सकते लेकिन कानून का सहारा जरूर ले सकते हैं। वहीं हर अपराध के लिए कानून में अलग प्रावधान है।

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Bahu Property Law

Newz Fast, New Delhi अगर आप अपने अधिकारों को लेकर जागरुक हैं तो ये किसी भी तरह के अन्याय या शोषण के खिलाफ आपके लिए निश्चित तौर पर ये बड़ा हथियार साबित होगा। हक की बात में आज हम बताते हैं कि बहू के अधिकार क्या हैं, खासकर ससुराल के घर और संपत्ति में उसका कितना हक है। कानून क्या कहते हैं और कानूनों की व्याख्या करते अहम अदालती फैसले क्या हैं।

सभ्यता का विकास क्रम अनवरत चलने वाली प्रक्रिया है। नई खोजों, नई तकनीकों, नई परिस्थितियों...यानी बदलते हुए दौर के साथ नियम-कायदे भी अपडेट होते रहते हैं। संहिताएं भी नए दौर की जरूरत के हिसाब में बदली जाती हैं तो कानून भी। 

मानव इतिहास ने 'समूह में रहने वाले जानवर' की अराजकता के दौर से नियम-कायदे, कानूनों के सभ्यता वाले दौर से आधुनिक सभ्यता के दौर तक की यात्रा की है। अधिकार, उनकी मान्यता और उनका संरक्षण सभ्यता के बुनियाद हैं। 

लिंग के आधार पर अधिकारों में भेदभाव समानता के सिद्धांत के खिलाफ हैं। स्पष्ट नियम-कानूनों के बावजूद महिलाओं के साथ भेदभाव समाज की कड़वी हकीकत है। इसकी एक बड़ी वजह अधिकारों को लेकर जागरुकता का अभाव है। 

अगर आप अधिकारों को लेकर सजग और जागरुक हैं तो भेदभाव को खत्म कर सकते हैं। अधिकारों की कड़ी में आइए जानते हैं कि एक बहू के ससुराल की संपत्ति में क्या-क्या हक हैं। साथ में जानते हैं अदालतों के ऐतिहासिक फैसले जो बहुओं के हक को परिभाषित करने में मील के पत्थर साबित हुए हैं। यहां हम आपको हक की बात (Haq ki Baat) बताएंगे।

संपत्ति को लेकर बहू के अधिकार

सबसे पहले देखते हैं संपत्ति को लेकर बहू के अधिकार पर कानून क्या कहते हैं।

स्त्रीधन

हिंदू लॉ के हिसाब से स्त्रीधन पर बहू का स्वामित्व होता है। यहां यह जानना जरूरी है कि स्त्रीधन के दायरे में क्या-क्या आता है। दरअसल, विवाह से जुड़े रिवाजों, समारोहों के दौरान महिला को जो कुछ भी मिलता है, चाहे वो चल-अचल संपत्ति हो या कोई और गिफ्ट, उस पर महिला का ही अधिकार होता है। 

यानी सगाई, गोदभराई, बारात, मुंह दिखाई या बच्चों के जन्म पर मिले नेग (गिफ्ट) स्त्रीधन के तहत आएंगे। स्त्रीधन पर महिला का ही स्वामित्व होता है भले ही वह धन पति या सास-ससुर की कस्टडी में हो। 

अगर किसी सास के पास अपने बहू का मिला स्त्रीधन है और बिना किसी वसीयत के उसकी मृत्यु हो गई तो उस धन पर बहू का ही कानूनी अधिकार है न कि बेटे या परिवार के किसी अन्य सदस्य का उस पर कोई हक बनता है।

स्त्रीधन पर महिला के स्वामित्व का अधिकार ऐसा है कि उसे कोई भी नहीं छीन सकता। यहां तक कि अगर वह पति से अलग भी हो जाए तो स्त्रीधन पर उसी का अधिकार होगा। 

अगर किसी विवाहित महिला को उसके स्त्रीधन से वंचित किया जाता है तो ये घरेलू हिंसा के बराबर होगा जिसके लिए पति और ससुराल वालों को आपराधिक मामले का सामना करना पड़ेगा।

गरिमा और आत्मसम्मान के साथ जीने का अधिकार

एक विवाहित महिला को गरिमा के साथ जीने का अधिकार है। वह अपने पति जैसे ही लाइफ स्टाइल की हकदार है। गरिमा के साथ जीने के अधिकार का मतलब है कि वह मानसिक या शारीरिक यातनाओं से मुक्त हो। अगर ऐसा नहीं हो रहा तो वो घरेलू हिंसा के दायरे में आएगा।