नए साल में रेफ्रिजरेटर के लिए करनी होगी ज्यादा जेब ढीली, अब बढ़ेगी कीमत! जानिए

Newz Fast New Delhi लेबलिंग को सख्त करने के अलावा, नए नियम फ्रॉस्ट-फ्री मॉडल के फ्रीजर और रेफ्रिजरेटर प्रोविजनिंग यूनिट के लिए अलग-अलग स्टार लेबलिंग को भी अनिवार्य करते हैं.
इनपुट लागत बढ़ेगी
एनर्जी एफिशिएंसी को सख्त करने पर प्रोडक्ट की इनपुट लागत बढ़ती है और इसमें दो से तीन फीसदी की बढ़ोतरी हो रही है. हालांकि, लागत अलग-अलग मॉडल्स और स्टरा रेटिंग पर निर्भर करेगी.
BEE सभी उपकरणों बिजली खपत की दक्षता के आधार पर रेटिंग देता है. ये स्टार रेटिंक एक से पांच तक होते हैं. जिस उपकरण की जितनी अधिक स्टार रेटिंग होगी,
वो बिजली खपत के मामले में उतना ही दक्ष होगा. यानी कम बिजली की खपत होगी. अगर फ्रीज कम बिजली की खपत करेगा, तो आपका बिजली का बिल भी कम आएगा.
पीटीआई ने गोदरेज अप्लायंसेज के बिजनेस हेड और एग्जिक्यूटिव वाइस-प्रेसिडेंट कमल नंदी के हवाले से बताया- 'स्टार रेटिंग के तहत अब हमें दोनों के लिए अलग-अलग लेबलिंग बतानी होगी.
ये एक नया बदलाव है. इससे कीमतों पर पड़ने वाले असर को लेकर उन्होंने कहा कि एनर्जी एफिशिएंसी को सख्त करने पर असर तो पड़ेगा. इसकी वजह से कीमतें दो से तीन फीसदी तक बढ़ सकती है.'
कंपनियों को नेट कैपेसिटी बतानी होगी
नंदी ने कहा कि हाल की स्टार लेबलिंग में एक और बदलाव यह हुआ है कि कंपनियों को रेफ्रिजरेटर की नेट क्षमता बतानी होगी. उन्हें इसकी ग्रॉस कैपेसिटी नहीं बतानी होगी.
नेट कैपेसिटी से मतलब इस्तेमाल में आनी वाली क्षमता से है. ग्रॉस कैपेसिटी का मतलब ये होता है कि किसी भी रेफ्रिजरेटर कितना लीटर तक भरा जा सकता है.
उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि रेफ्रिजरेटर के दरवाजे और सेल्फ के बीच में जो जगह होती है, उसका इस्तेमाल नेट कैपेसिटी में नहीं किया जा सकता. इससे ग्राहकों को रेफ्रिजरेटर खरीदते वक्त सही फैसला लेने में मदद मिलेगी. वो अपनी जरूरत के हिसाब से रेफ्रिजरेटर खरीद पाएंगे.
भारत में रेफ्रिजरेटर का मार्केट
उन्होंने कहा कि एंट्री लेवल के खरीदारों को एक चुनौती का सामना करना पड़ेगा, क्योंकि लागत बढ़ेगी. रिसर्च एंड मार्केट्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2022 में भारत में रेफ्रिजरेटर का मार्केट 3.07 बिलियन डॉलर का था.